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बचपन से लिखने का शौक हैं कभी-कभी सोचकर लिखता हूँ तो कभी-कभी सब्द खुद ही जहन में आकर लिखने को मजबूर करते हैं

Thursday 14 February 2013

आज ही के दिन

आज ही के दिन
मैं जन्मा था
खुशिया बिखरी थी मेरे घर में
गाव में मेरे खबर फैला था
आज ही के दिन
मैं जन्मा था
ढोल बजा था मेरे घर में
गाव में मेरे नगाड़े बजे थे
आज ही के दिन
मैं जन्मा था
सपने जन्मे थे मेरे घर में
गाव में मेरे विश्वास पनपा था
आज ही के दिन
मैं जन्मा था

(मेरे जन्मदिवस पे मेरी पंक्तिया आपको समर्पित-Vivek Human )